Posts

Showing posts from November, 2021

एक श्लोकी मल्हारी महात्म्य | Ek Shloki Malhari Mahatmya |

Image
  एक श्लोकी मल्हारी महात्म्य पूर्वं धर्मसुतास्तपोवनगता मल्लेन संतर्जिता जिष्णुंविष्णुमतीत्य शंभुमभजन् तेनावतीर्य क्षितौ | तत्रोल्का मुखमुख्य दैत्य निवहं हत्वामणिं मल्लकं देवः प्रेमपुरेSर्थीतोSवतु वसन् लिङ्गं द्वयात्माSर्थदः||   मल्हारी ध्यान ध्यायेन्मल्लारिदेवं कनकगिरीनिभं म्हाळसा भूषितांकम l श्वेताश्वम् खडःग हस्तं विबुधबुधगणै सेव्यमानं कृतार्थे l युक्तांघ्रि दैत्यमुन्ध्री डमरु विलसितं नैशचूर्णाभिरामम l नित्यं भक्तेषु तुष्टं श्वगण परिवृत्तं नित्यमोङ्काररूपम् ll          

आरती ( गौरी ) महालक्ष्मीची

Image
  *आरती ( गौरी ) महालक्ष्मीची*  भाद्रपद शुद्ध सप्तमीस प्रतिष्ठा अनुराधा नक्षत्र ज्येष्ठा श्रेष्ठा गणेशा सहित गौरी धनिष्ठा बैसली येउनि सकळिया निष्ठा ।। १ ।। जयदेव जयदेव जय महालक्ष्मी, श्रीमहालक्ष्मी, कृपा करुनी आली तू महालक्ष्मी जयदेव जयदेव ।। धृ।। ज्येष्ठा नक्षत्र पुजेचा महिमा षडरस पक्वान्ने होती सुखधामा सुवासिनी ब्राह्मण अर्पुनी निजनेमा तुझे आशीर्वादे सकलही धामा ।।२।। जयदेव जयदेव जय महालक्ष्मी, श्रीमहालक्ष्मी, कृपा करुनी आली तू महालक्ष्मी जयदेव जयदेव ।। धृ।। उत्थापन मूळावर होता अगजाई वर देती झाली देवी विप्राचे गृही रुद्र विश्वनाथ भक्ताचे ठायी वर देती झाली देवी सकळांचे गृही ।।३।। जयदेव जयदेव जय महालक्ष्मी, श्रीमहालक्ष्मी, कृपा करुनी आली तू महालक्ष्मी जयदेव जयदेव ।। धृ।।    

श्री लक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्रम् |

Image
  श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम् । ईश्वरीकमला लक्ष्मीश्चलाभूतिर्हरिप्रिया। पद्मा पद्मालया सम्पद् रमा श्री: पद्मधारिणी।। द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्। स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभिस्सह।।     अर्थ -  ईश्वरी, कमला, लक्ष्मी, चला, भूति, हरिप्रिया, पद्मा, पद्मालया, संपद्, रमा, श्री : , पद्मधारिणी। इन 12 नामों से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाए तो स्थिर लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती है।   श्री लक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्रम् | श्रीदेवी प्रथमं नाम द्वितीयं अमृत्तोद्भवा तृत्तीयं कमला प्रोक्ता चतुर्थं लोकसुन्दरी पञ्चमं विष्णुपत्नी च षष्ठं स्यात् वैष्णवी तथा  सप्ततं तु वरारोहा अष्टमं हरिवल्लभा नवमं शार्गिंणी प्रोक्ता दशमं देवदेविका  एकादशं तु लक्ष्मीः स्यात् द्वादशं श्रीहरिप्रिया द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः  आयुरारोग्यमैश्वर्यं तस्य पुण्यफलप्रदम् द्विमासं सर्वकार्याणि षण्मासाद्राज्यमेव च संवत्सरं तु पूजायाः श्रीलक्ष्म्याः पूज्य एव च लक्ष्मीं क्षीरसमुद्रराजतनयां श्रीरङ्गधामेश्वरीं दासीभूत समस्त देववनितां लोकैक दीपांकुराम् श्रीमन्मन्दकटाक्ष लब्ध विभव ब्रह्म